राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
पृथ्वी की भूपर्पटी में पाये जाने वाले यौगिक जिनमें धातुओं की मात्रा पाई जाती है, खनिज कहलाते है।
ऐसे खनिज जिनमें धातुओं की मात्रा अधिक होती है। तथा उनसे धातुओं का निष्कर्षण करना आसान होता है, अयस्क कहलाते है।
धातु | अयस्क |
हैमेटाइट | लौहा |
बॉक्साइट | एल्यूमिनियम |
गैलेना | सीसा (लेड) |
पायरोलुसाइट | मेंग्निज |
डोलोमाइट | कैल्शियम |
सिडेराइट | लौहा |
मैलेकाइट | तांबा |
कैलामीन | जिंक (जस्ता) |
जिप्सम | कैल्शियम |
लाइमस्टोन | कैल्शियम |
संगमरमर | कैल्शियम |
क्रायोलाइट | एल्यूमिनियम |
फ्लोसपार | कैल्शियम |
केओलिन (चीनी मिटटी) | एल्यूमिनियम |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
खनिज उत्पादन में राजस्थान का 5.70% है। भारत में राजस्थान अलौह खनिज के उत्पादन में प्रथम है। तथा लौह खनिज के उत्पादन के मूल्य की दृष्टि से राजस्थान का चौथा स्थान है।
राजस्थान का भारत में स्थान
आधार | स्थान |
अलौह खनिज का उत्पादन | प्रथम |
लौह खनिज का उत्पादन | चतुर्थ |
खनन में होने वाली आय | पाँचवा |
खनिज उत्पादन का मूल्य | आठवाँ |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
खनिज भंडार की दृष्टि से राजस्थान का दूसरा तथा प्रथम झारखंड का स्थान है। झारखंड में स्थित “छोटा नागपुर पठार” में खनिजों की मात्रा अधिक होने के कारण इसे “भारत का खनिजों का अजायबघर तथा भारत का रूर प्रदेश” कहते है।
राजस्थान में खनिज पदार्थों की विविधता के कारण इसे राज्यों में “खनिजों का अजायबघर” कहा जाता है। भारत में खनिजों की सर्वाधिक खाने राजस्थान तथा उड़ीसा में है।
खनिजों को तीन भागों में बांटा गया हैं-
- धात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज
- ऊर्जा खनिज
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan) राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
धात्विक खनिज
लौहा
लौहे का सर्वाधिक उत्पादन ब्राजील में तथा भारत में सर्वाधिक उत्पादन उड़ीसा में होता है। राजस्थान में लोहे का सर्वाधिक उत्पादन जयपुर, दौसा तथा झुंझुनू में होता है।
लोहे का सर्वाधिक भंडार अमेरिका में, भारत में सर्वाधिक भंडार कर्नाटक में तथा राजस्थान में भंडार उदयपुर में है।
ब्राजील की माउंट इताबीरा खान लोहे के लिए विश्व प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ की बैलाडीला खान तथा जयपुर की मोरिजा बेनाल खान लोहे के लिए प्रसिद्ध है।
लौहे के चार प्रमुख अयस्क होते हैं-
- मैग्नेटाइट
- हेमेटाइट
- लिमोनाइट
- सीडेराइट
मैग्नेटाइट
यह लोहे का सर्वश्रेष्ठ अयस्क है। इस में लोहे की 71% मात्रा होती है। यह विश्व में सर्वाधिक पाया जाने वाला लौहा है। इसका सर्वाधिक उत्पादन अमेरिका में होता है।
हेमेटाइट
यह मैग्नेटाइट की अपेक्षा कम श्रेष्ठ है। क्योंकि इनमें इस में लोहे की मात्रा 60 से 70% होती है।
भारत में यह सर्वाधिक राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान में यह जयपुर में सर्वाधिक पाया जाता है। यह लाल रंग का अयस्क है।
लिमोनाइट
इस में लोहे की मात्रा 45% होती है। इसे जलयोजित लौहा भी कहते है।
सीडेराइट
इस में लोहे की मात्रा 45% से कम होती है। इसे कार्बोनेट लौहा भी कहते है।
राजस्थान के प्रमुख लौहा उत्पादक क्षेत्र
- मोरीजा बेनाल (जयपुर)
- निमला रायसेला (दौसा)
- कुशलगढ़ (अलवर)
- डाबला-सिंघाना (झुंझुनू)
- नीमकाथाना (सीकर)
- थुर, हुन्डेर व नाथरा की पाल (उदयपुर)
विश्व में लौहा उत्पादन की दृष्टि से भारत का चौथा स्थान है। तथा भारत जापान में सर्वाधिक लोहे का निर्यात करता है।
सीसा-जस्ता (जिंक)
गैलेना सीसा व जस्ता का अयस्क है। सीसा और जस्ता का उत्खनन एक साथ ही होता है।
देबारी उदयपुर में मोचिया मगरा खान से सीसा-जस्ता व तांबा निकलता है।
1966 में जावर-देबारी में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड संयंत्र की स्थापना की गई परंतु वर्तमान में इस संयंत्र का कुछ भाग वेदांता समूह ने ग्रहण कर लिया है।
भीलवाड़ा के रामपुरा-आगूचा में सर्वश्रेष्ठ सीसा-जस्ता का उत्पादन होता है।
एशिया का सबसे बड़ा जिंक स्मेल्टर प्लांट इंग्लैंड के सहयोग से चित्तौड़गढ़ के चंदेरिया में स्थापित की गयी है। तथा अन्य जिंक स्मेल्टर प्लांट देबारी (उदयपुर) में है।
राजस्थान के प्रमुख सीसा-जस्ता उत्पादक क्षेत्र
- रामपुरा-आगूचा (भीलवाड़ा) विश्व की सबसे बड़ी सीसा-जस्ता की खान
- जावर-देबारी (उदयपुर)
- राजपुरा-दरीबा (राजसमंद)
- चौथ का बरवाडा (सवाई माधोपुर)
तांबा
तांबा विद्युत का अच्छा सुचालक होता है। तांबे का सर्वाधिक उत्पादन दक्षिणी अमेरिका के चिलि में होता है। भारत में इस का सर्वाधिक उत्पादन मध्यप्रदेश व राजस्थान में तथा राजस्थान में इस का सर्वाधिक उत्पादन खेतड़ी (झुंझुनू), अलवर तथा उदयपुर में होता है।
दक्षिणी अमेरिका के चिली की चुचकमाता खान तांबे के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
भारत में बालाघाट (मध्यप्रदेश) तांबा उत्पादन में विश्व प्रसिद्ध है। राजस्थान में तांबे का सर्वाधिक उत्पादन खेतड़ी झुंझुनू में होता है। जहां पर भारत की सबसे बड़ी तांबे की खान है।
तांबे के सर्वाधिक भंडार झारखंड तथा राजस्थान में पाए जाते है। पूर-दरीबा (भीलवाडा) में तिरंगा पहाड़ियों पर जिंदल ग्रुप द्वारा तांबे का उत्पादन होता है।
मुंडियावास गांव (अलवर) में सीसा-जस्ता, सोना, चांदी व तांबे के विशाल भंडार मिले है।
खेतड़ी (झुंझुनू) में 1967 से अमेरिका के सहयोग से हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के द्वारा तांबे का उत्खनन हो रहा है।
राजस्थान के प्रमुख तांबा उत्पादक क्षेत्र
- खेतड़ी (झुंझुनू)
- खो-दरीबा (अलवर)
- बीदासर व बरसिंगसर (बीकानेर)
- पूर-दरीबा (भीलवाड़ा)
मैग्नीज
भारत में इस का सर्वाधिक उत्पादन उड़ीसा में तथा राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन बांसवाड़ा में होता है। लेकिन इसके सर्वाधिक भंडार मध्यप्रदेश में है।
साइलोमिलने तथा ब्रोनाइट मैग्नीज के अयस्क है। मैग्नीज का उपयोग फोटोग्राफी में प्रयुक्त लवण के रूप में, इस्पात उद्योग में, तथा शुष्क सेल के निर्माण में होता है।
राजस्थान के प्रमुख मैग्नीज उत्पादक क्षेत्र
- राजसमन्द
- उदयपुर
- बांसवाडा
सोना
खनिज | प्रतिशत |
जास्पर | 100 |
गारनेट | 100 |
वोलस्टोनाइट | 100 |
जस्ता | 99 |
फ्लोराइट | 96 |
जिप्सम | 93 |
संगमरमर | 90 |
एस्बेस्टस | 89 |
राजस्थान के खनिज संसाधन (Mineral Resources of Rajasthan)
राजस्थान के खनिज संसाधन से जुडी प्रमुख संस्थाएँ
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (Oli and Natural Gas Corporation, ONGC)
यह भारतीय की सबसे बड़ी तेल उत्पादक बहूराष्ट्रीय कम्पनी है। इसका मुख्यालय देहरादून (उतराखण्ड) में है। ओएनजीसी की स्थापना 1956 में हुई।
17 सितंबर 2014 को ओएनजीसी (ONGC) कंपनी द्वारा बाड़मेर में राजस्थान का 36 वा तेल का कुआं ऐश्वर्या खोजा गया।
ओएनजीसी कंपनी द्वारा जैसलमेर बाड़मेर को पेयजल प्राप्त करने हेतु सरस्वती योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत पेयजल के लिए कुओं का निर्माण करवाया जा रहा है। प्रथम कुआं जैसलमेर में निर्मित हुआ है।
राजस्थान राज्य खान व खनिज लिमिटेड (Rajasthan State Mines and Minerals limited, RSMML)
इसकी स्थापना 1974 में एक सार्वजनिक कम्पनी के रूप में हुई। यह अधात्विक खनिज के उत्पादन तथा विपणन का कार्य करती है। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (Rajasthan State Mineral Development Corporation, RSMDC)
इसकी स्थापना 27 सितम्बर 1979 में हुई लेकिन 20 फरवरी 2003 को इसका विलय RSMML में हो गया। इसका मुख्यालय जयपुर में है।
राजस्थान खनिज नीति
- राज्य की प्रथम खनिज नीति 1978 को घोषित की गयी।
- राजस्थान खनिज नीति 2015 को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 4 जून 2015 को जारी की गयी।
Note – Image source for education purpose –